कविता

मौत और जिन्दगी

जिंदगी रोज डरातीं है हमें

जब भी मौका मिले

धोखा दे जाती है हमें

मौत का क्या है?

वह हमेशा साथ देगी 

इस बात का भरोसा दे जाती है हमें !

खुबसूरत जिंदगी में

बैचेनी है बहुत 

सुकुन तो है मौत के आगोश में  !

जिंदगी हर कदम पे इम्तिहान लेती है

मौत तो हर इम्तिहान का परिणाम है !

मौत से जिंदगी भर डरते रहे

लेकिन अपनापन तो मौत ही निभाती है!

जिंदगी और मौत एक दूसरे के पूरक हैं

जिंदगी है तो मौत कभी -न-कभी आएगी !!

— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P