गीतिका
व्यक्त करें आभार,ज़िंदगी में।
मिले जीत या हार,ज़िंदगी में।।
थोड़ी रखना लाज,ज़माने से,
जब हों आँखें चार,जिंदगी में।
करो कमाई खूब,बनाना मत,
रिश्तों को व्यापार,ज़िंदगी में।
ऊँच नीच को भूल,साथ रहना,
कर सबका सत्कार,ज़िंदगी में।
कट्टरपंथी सोच , बुरी होती,
रहना सदा उदार,ज़िंदगी में।
वे होते हैं धन्य ,मान लें जो,
सब कुछ है परिवार,ज़िंदगी में।
जो रहते संतुष्ट ,पास उनके,
खुशियों की भरमार,ज़िंदगी में।
— डाॅ बिपिन पाण्डेय