देख रहा हूं
आता हुआ बुढ़ापा दिखता और लाचारी देख रहा हूं
सबकी आनी है यह पारी और दुश्वारी देख रहा हूं
एक बेटा इंग्लैंड में रहता और दूसरा अमेरिका में
मैं वृद्ध आश्रम में रहता हूं रिश्तेदारी देख रहा हूं
मिलने कोई कभी आया तो हाल पूछकर चला जाएगा
नहीं समय है पास किसी के पल पल भारी देख रहा हूं
देहदान करना बेहतर है बोझ नहीं बनना समाज पर
यह हम सब की जिम्मेदारी जिम्मेदारी देख रहा हूं
मन में एक शंका होती है हिंदू धर्म हमारा कहता
पंचतत्व में मिल जाना ही बड़ी तैयारी देख रहा हूं
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव