मुक्तक
अगली पीढ़ी का नेतृत्व तैयार करने की सराहना करनी चाहिए। वंशवाद की राजनीति की कोख उजाड़ी जा रही है।
नया युग है,पुरानी रात ,नव सूरज निकलने दो
न महके ताल बदबू से,नये कमलों को खिलने दो
अभी होगा चमन सुरभित कई रंगीन सुमनों से
झरेंगे फूल और बासी, ज़रा मौसम बदलने दो।
— शरद सुनेरी