तेरा साथ
तेरा साथ
मेरी इच्छाओं की
आकाश गंगा की तरह…
तुम वो धुरी हो
जहाँ मैं सदा हूँ
समय के परिक्रमा की तरह..
मुझ बिन तुम नहीं
तुम बिन मैं नहीं
बस मैं-तुम जीवन की तरह…
कि प्रेम शब्दों में पिरोए तो यथार्थ की तरह
प्रेम मौन में जिए तो शब्दार्थ की तरह
प्रेम मुझमें रहे सदा बस तुम की तरह…!!
— नंदिता