बंदर मामा
बंदर मामा
बन्दर मामा पहन पाजामा
ठुमक-ठुमक कर नाचे मामा।
सिर हिलाते, कमर नचाते
गीत मगर गा नहीं पाते।
उछल-कूद कर नाच दिखाते
उधम मचाते खींशे निपोरते।
बंदरिया छेड़ते कभी न शर्माते
सबको हँसाते कभी न थकते।
बड़े नकलची बन्दर मामा
सबके मन को भाते बन्दर मामा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़