कविता

जनता जनार्दन हैं

जनता-जनार्दन हैं,जनता ही भगवान है
जनता के हाथों सब कुछ,यही महान है।

जनता भाग्य-विधाता, इसी से जहान है
जनता की पूजा करो इसी से सम्मान है।

इनकी उपेक्षा करना, इनका अपमान है
सेवक बनके सेवा करो ए देव समान है।

जनता न तुच्छ,न समझो इन्हें नादान है
इनमें भी तो जमीर, और स्वाभिमान है।

इनके अंदर कुट-कुट कर, भरा ईमान है
इनको अच्छे बुरे का, रहता सदा भान है।

राजधर्म,नीतिशास्त्र से ये नही अंजान हैं
असल विदुर यही है जिनके पास ज्ञान है।

इनके होते हैं दो दिव्य दृष्टि और कान है
यही न्याय के देवता यही न्याय के द्वार हैं।

वही होता है जो जनता जनार्दन चाहते हैं
यही योग्य सेवक सिंघासन तक ले जाते हैं।

अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578