वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
“हेलो…”
“कैसी हो जानू ?”
“मैं ठीक हूं, आप आ रहे हैं न आज ?”
“सॉरी मेरी जान ! एक जरूरी मिटिंग अटैंड करनी है। मैं परसों लौटूंगा। आज की टिकट कैंसिल करानी पड़ी।”
“पर आप तो आज आने वाले थे। फिर ये मिटिंग वह भी यूं अचानक…. ?”
“सॉरी डियर। मैं समझ सकता हूं तुम्हारी स्थिति। मजबूरी है वरना शादी के बाद पहली वेलेंटाइन डे पर हम यूं दूर नहीं होते। अच्छा ये बताओ, वेलेंटाइन डे पर मेरी भिजवाई डायमंड नेकलेस वाली गिफ्ट तुम्हें कैसी लगी ?”
“खोला नहीं है मैंने अब तक। सोच रही थी तुम्हारे सामने ही खोलूंगी। पर…”
“सॉरी यार मधु। देखो मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करो। अच्छा परसों मिलते हैं। अब फोन रखता हूं। बाय, लव यू डार्लिंग। ऊं… आं…”
उधर से फोन कट गया। उसकी नई खूबसूरत स्टेनो जो सज-धज कर आ गई थी। वह बिना देर किए उस नवयौवना के कमर में हाथ में डालकर शॉपिंग कराने ले गया।
“मेमसाहब, आज आधे दिन की छुट्टी चाहिए थी।” इधर दोनों हाथ जोड़े ड्राईवर खड़ा था।
“क्यों ?”
“ऐसे ही मालकिन कुछ काम है।”
“कुछ काम है मतलब ? क्यों चाहिए छुट्टी ?”
“वो क्या है ना मैडमजी, हमारी शादी के बाद की आज 25 वीं वेलेंटाईन डे है और हम पति-पत्नी … आज… पिक्चर देखने जाना चाहते हैं.” बहुत मुश्किल से कह सका।
उसकी मनोदशा और पच्चीस साल बाद भी अपनी पत्नी के प्रति प्रेमभाव को देख वह भला कैसे मना कर सकती थी.
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़