सम्मान से सम्मान
सम्मान से सम्मान
राजेश जी की बचपन से ही बड़ी इच्छा थी कि वे लगातार स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहें। उनकी लिखी रचनाओं पर सभा, संगोष्ठियों में चर्चा हो। उन पर समीक्षाएँ लिखे जाएँ। उन्होंने बहुत कुछ लिखा भी, पर उनकी रचनाएँ गिनी-चुनी पत्र-पत्रिकाओं और सहयोग राशि के बदले छपने वाली पुस्तकों तक ही सीमित रहीं। उन पर कोई चर्चा तक नहीं होती। बस वे अलमारियों की शोभा बढ़ातीं।
लगभग तीन साल पहले एक साहित्यिक समारोह में कुछ बडे़ साहित्यकारों से मिलने के बाद उन्होंने अपने शहर में एक साहित्यिक संस्थान का गठन किया। जिले के कुछ नामचीन साहित्यकारों को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पद पर बिठाते हुए स्वयं संस्थापक सचिव-समन्वयक बने रहे। अब उनकी संस्थान जन-सहयोग से प्रतिवर्ष ₹ 1110/-, 2100/- एवं 5100/- के कुल 11 राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों, संपादकों को सम्मानित करती है, जिनके चयन के लिए गठित समिति में उन्हीं की चलती है।
अब तो राजेश जी की वही रचनाएँ उन्हीं बड़े-बड़े पत्र-पत्रिकाओं में छपती हैं, जहाँ से वे खेदसहित एक बार लौट आई थीं। यही नहीं हर महीना-दो महीना में उन्हें देश के विभिन्न शहरों की साहित्यिक संस्थानों से सम्मानित करने की सचित्र खबरें फेसबुक पर देखने-पढ़ने को मिलती हैं।
पिछले दिनों एक फेसबुक पोस्ट से पता चला कि उनके साहित्य पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में सात शोधार्थियों ने पीएच.डी. के लिए भी पंजीयन कराया हुआ है।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़