अटलबिहारी थे सब पर भारी
सिंह की गर्जना थी जिसकी आवाज में
दुश्मन भी कांपते थे जब ललकारते थे
कवि हृदय अंदर कोमल थे दिल के
सुनते थे सभी जब स्टेज से दहाड़ते थे
सादगी से भरपूर था सारा जीवन उनका
धोती कुर्ता भारतीय परिधान थी उनकी पहचान
अपना बना लेते थे अपनी मीठी बाणी से
विरोधी भी करते थे उनकी अच्छाई का बखान
राजनीति के पक्के मंझे खिलाड़ी
इरादे के पक्के ईमानदारी के स्तंभ
गरीबों के सच्चे हितैषी लालच से दूर
ज़रा भी नहीं था अपनी ताकत का दम्भ
राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी
दिल न किसी का दुखाया कभी
कोई इस दुनियां में नहीं है पराया
गैर नहीं कोई यहां अपने हैं सभी
यू एन ओ में जब गरजे
हिंदी में ललकार भरी
पहचान मिली अपनी हिंदी को
अंग्रेज़ी कोने में जा हुई खड़ी
नाम था उनका अटलबिहारी
थे विरोधियों पर बहुत भारी
सत्ता भी उनसे लेती थी सलाह
बातों ही बातों में चोट करते थे करारी
— रवींद्र कुमार शर्मा