जुगाड़
-: जुगाड़:-
वर्मा साहब से उनकी श्रीमती जी बोली- ‘‘क्या बात है इस बार आप कोई जुगाड़ नहीं भिड़ा रहे हैं। क्या हमारी दीवाली ऐसे ही रूखी-सूखी मनेगी ?’’
‘‘क्या करें मजबूरी है। इस आदर्श चुनाव आचार संहिता ने तो हमारे हाथ पाँव बांध कर ही रख दिये हैं। न अपायंटमेण्ट न ट्रांसफर न सस्पेण्ड न रिस्टेण्ड।’’ उन्होंने अपनी विवशता बतायी।
- डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़