धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मन की शक्ति

दो वर्णों के मेल से बना एक छोटा सा शब्द “मन” किन्तु थोड़ा ध्यान देने पर ज्ञात होता हैं कि इस छोटे से मन के अंदर तो पूरी दुनिया आ जाती हैं। अगर मैं आपसे सवाल करूं कि इस संसार में सबसे तेज गति किसकी है कोई कहेगा रेलगाड़ी, कोई कहेगा चीता तो किसी का जवाब होगा वायु। पर जनाब संसार की सबसे तेज चीज तो आपके पास ही विद्यमान हैं और वो हैं आपका मन। मन तो हवा से भी तेज होता हैं और पलक झपकते ही आपका मन दुनिया के किसी भी स्थान में जाकर वापस आ जाता हैं। इतना सब बताने का तात्पर्य यह है कि संसार में आपके मन से अधिक शक्तिशाली और कुछ नहीं है। अब ये आपकी सोच पर निर्भर करता है की आप सकारात्मक सोच रखते हैं या नकारात्मक क्योंकि शक्तिशाली मन तो सकारात्मक सोच से ही बनते हैं। हमारा मन अत्यंत ही चंचल है और जब तक आप अपने इस अशांत मन को शांत नहीं कर लेते तब तक आप अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर सकते। मन पर काबू पाना मुश्किल जरूर हैं लेकिन नामुमकिन नहीं। मन की ताकत शरीर की ताकत से भी कहीं अधिक होती हैं। किसी कार्य को करने में यदि आपका शरीर असमर्थ हैं किन्तु तब भी यदि आप दृढ़ता से यह सोचे कि हां मैं ये कर सकती हूं और कोशिश करते रहेंगे तो यकीन मानिए आप उस कार्य को जरूर कर सकते हैं। दुनिया में कितने ऐसे लोग होंगे जो शारीरिक और आर्थिक रूप से असमर्थ होते हुए भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाते हैं और अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं । ना जाने कितने विकलांग लोग होंगे दुनिया में – किसी के हाथ नहीं, किसी के पैर नही,कोई देख – सुन नही सकता और भी कई तरह की आफत परन्तु फिर भी ये हार नहीं मानते निरंतर कोशिश में लगे रहते हैं केवल अपनी सकारात्मक सोच के सहारे।
अब मैं एक महान वैज्ञानिक का ज़िक्र करने जा रही हूं जिन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता से लड़ते हुए भी हर वो चीज हासिल किया जिसकी हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं। ये विश्व प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक, ब्रम्हांड वैज्ञानिक एवम कुशल लेखक थे जिनके ऊपर “ द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग” फिल्म भी बनी। अपनी शारीरिक दुर्बलता को इन्होंने कभी भी अपने सपनों के बीच नही आने दिया और जो इन्होंने किया वो आज पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्पद है। 21 वर्ष की आयु में ही इनकी सेहत बिगड़ने लगी जांच के दौरान पता चला कि इनको “एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस” नामक बीमारी है। इस बीमारी में शारीर के सभी हिस्से धीरे – धीरे कार्य करना बंद कर देते है और व्यक्ति अपंग हो जाता है। इनकी इच्छाशक्ति इतनी प्रबल थी कि जब डॉक्टर के कहा कि आपके पास सिर्फ 2 साल का ही वक्त है तब इन्होंने कहा कि – “ मैं अभी और जीना चाहता हूं और मैं 2 साल नही ,20 साल नही बल्कि पूरे 40 साल तक जियूंगा” और अपनी इच्छाशक्ति के बल पर वो पूरे 50 वर्ष से भी अधिक वर्ष तक जीवित रहे तथा 75 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को छोड़ गए। “ मोटर न्यूरॉन” बीमारी की वजह से इनकी आगे की पूरी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही गुजरी। व्हीलचेयर पर होने के बावजूद ये अपने दैनिक कार्य के लिए किसी और पर आश्रित नहीं थे वे अपने अधिकांश कार्य स्वयं ही कर लिया करते थे किन्तु धीरे – धीरे उनका पूरा शरीर स्थिर होने लगा फिर भी इन्होंने कभी भी अपनी अपंगता को अपनी कमजोरी नहीं समझा। इनका विचार था कि – “ अगर आप विकलांग या अपंग है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है और साथ ही दुनिया को दोष देने या अपने ऊपर किसी दया की उम्मीद करना सही नहीं है। बस आपके विचार सकारात्मक होने चाहिए और स्थिति के अनुसार अपना अच्छा योगदान देना आना चाहिए अगर कोई मनुष्य अपंग है तो उसे अपने मन से अपंग नही होना चाहिए।”
अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि मैं किनका जिक्र कर रही हूं? जी हां ये विश्व विख्यात वैज्ञानिक “स्टीफन हॉकिंग” ही है जिन्होंने अपने खोजो और विचारो से यह सिद्ध कर दिया कि दुनिया में मन की शक्ति से बड़ी और कोई शक्ति नहीं है। अतः हमें सदैव सकारात्मक विचार रखना चाहिए तथा मन से कभी हार नहीं मानना चाहिए।

ख्यालती टंडन

उम्र - 21 वर्ष कक्षा - बी ए तृतीय वर्ष पिता का नाम - श्री हरिचरण टंडन माता का नाम - श्रीमति सफुरा टंडन मो नं - 8871443767 पूरा पता - पन्ना नगर जरहाभाठा बिलासपुर (छ.ग.)