मार्केटिंग फंडा
मार्केटिंग फंडा
वैसे तो मुझे होटल में खाना पसंद नहीं है पर बच्चों की इच्छा का ध्यान रखते हुए हम अपने परिवार के सभी सदस्यों के जन्म दिवस पर होटल खाना खाने चले जाते हैं। संयोग ऐसा है कि हम चारों के जन्मदिन में भी तीन-चार माह का अंतराल है। सो हर तीसरे-चौथे महीने ही जाना होता है।
अभी पिछले सप्ताह श्रीमती जी के जन्मदिन पर अपने वही चिरपरिचित होटल में जाना हुआ। इस बार वहाँ कुछ ज्यादा ही चहल-पहल दिखा। जब हमारे आर्डर का पूरा खाना आ गया तो एक बहुत ही स्मार्ट-सा लड़का, जो गले में एक लेटेस्ट मॉडल का बहुत ही महंगा कैमरा लटकाए हुए था, अभिवादन करके बोला- “सर अब फोटो सेशन हो जाए।”
चौंक पड़े हम। आश्चर्य के साथ गुस्सा भी आया। पूछा- “क्यों, किसने कहा तुम्हें फोटो सेशन के लिए।”
वह बड़े ही प्यार से बोला :- “सर जी प्लीज, आप नाराज मत होइए। मैं इस होटल का फोटोग्राफर हूँ। यहाँ आने वाले ग्राहकों की फोटो उनकी इच्छानुसार ही खींचकर उन्हें ई-मेल या व्हाट्सप करता हूँ। उसके बाद उनके सामने ही फोटो डिलीट कर देता हूँ। इसे ग्राहक अपनी इच्छानुसार फेसबुक, इंस्टाग्राम या व्हाट्सप पर शेयर करते हैं। सर जी फोटो खींचना ही मेरी ड्यूटी है और इसके लिए ग्राहकों से कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लिया जाता है। मुझे होटल से मासिक वेतन मिलता है।”
तब तक होटल का मैनेजर भी आ गया जो मुझे पहले से ही जानता है। हाथ जोड़ कर बोला- “सर जी, ये सर्विस हमने पिछले महीने ही शुरु की है। होटल में ये चहल-पहल उसी का ही परिणाम है। डेढ़ महीने में ही हमारी बिक्री दुगुनी हो चुकी है।”
हम आश्वस्त हुए- “ये तो अच्छी पहल है मैनेजर साहब। चलिए फिर हमारा भी फोटो सेशन हो जाए।”
मैनेजर बोला :- “जरूर-जरूर।”
मौके का फायदा उठाते हुए हमने भी कुछ फोटो खिंचवा लिए।
- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छ.ग.