भेज रहे हैं पीले चावल
भेज रहे हैं पीले चावल , घर घर अलख जगाने को।
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को।
यह चौबीस साल जीवन में , खुशियाँ लेकर आया है।
जन जन के भगवान राम ने , अब अपना घर पाया है।
अब तक था तिरपाल शीश पर , उससे मुक्ति दिलाने को।
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को।…………1
जन्मभूमि राघव की प्यारी , पर यवनों का डेरा था।
मन्दिर भव्य जहाँ पहले था , जिस पर पानी फेरा था।
तोड़ उसे बाबरी बनायी , ताकत हमें दिखाने को।
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा, न्यौता सबका आने को………….2
गये पाँच सौ साल हजारों , भक्तों ने बलिदान दिया।
मन्दिर भव्य बनेगा फिर से , प्रभु का यह आह्वान किया।
आज उन्हीं भक्तों को मिलकर , श्रद्धा सुमन चढ़ाने को।
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को…………3
दीनदयाल दिवाली फिर से , घर घर सभी मनायेंगे।
पूर्ण हुआ वनवास राम का , गीत खुशी के गायेंगे।
समय लौटकर नहीं आता है , इतनी याद दिलाने को।
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को…………..4
भेज रहे हैं पीले चावल ,घर घर अलख जगाने को।
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को।