मैं और मेरी राम में रम्यता
आज 31 दिसंबर है, ईसवी वर्ष 2023 का अंतिम दिन। देखा जाए तो जीवन का प्रत्येक दिन महत्त्व पूर्ण होता है।किंतु जीवन की आपाधापी और दौड़भाग में भला किसे इतना समय है कि अपने जीवन के सिंहावलोकन के लिए समय निकाल पाए !मैं भी कुछ वैसा ही कर रहा हूँ।
कण – कण कर जल पूर्ण घड़ा और क्षण -क्षण कर जीवन रिक्त हो जाता है।शेष क्या रहता है ?मात्र एक शून्य। समय के शून्य की खोज ही है यह सिंहावलोकन। यों तो अब जीवन ही लेखन और लेखनी मय हो गया है।इस दक्षिण तर्जनी की सक्रियता भी दर्शनीय है,विचारणीय है।
वर्ष 2023 में इस तर्जनी से लिखित 08 पुस्तकें प्रकाशित हुईं।और संयोग भी यह रहा कि सभी आठों कृतियाँ छत्तीसगढ़ से मेरे प्रिय शिष्य श्री कौशल महंत जी के कुशल नेतृत्व में शुभदा प्रकाशन मौहाडीह,जांजगीर -चाँपा से ही। यह मेरे लिए गर्व और गौरव की बात है। इस प्रकाशन के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण और विशेष बात यह है कि वर्ष के अंत में आकर मैं राम मय हो गया । मेरा कृत्तित्व राम रंग में राम रस से आप्लावित हो गया।
हुआ यों कि 22 दिसम्बर से कुछ दिन पूर्व श्री कौशल जी ने कहा कि मेरे पास छपने के लिए दो साझा संकलन आए हैं,जिनमें प्रकाशन हेतु राम विषयक चार -चार रचनाएँ ली जा रही हैं। यद्यपि आप साझा संग्रहों में अब रचनाएँ नहीं छपवाते ,फिर भी यदि दे सकें तो ठीक रहेगा।क्योंकि यह अवसर भी अच्छा है कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या पुरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है ,जिसमें किसी न किसी रूप में हर सनातनी हिन्दू की भागीदारी सैभाग्य की बात होगी।
मैंने स्वीकृति भी दे दी और 22 दिसम्बर को राम विषयक 06 गीत भी सीधे मोबाइल पर ही लिख दिए। किन्तु एक दिन के बाद ही मेरी मानसिकता में भगवान राम इस प्रकार विराजमान हुए कि सब कुछ छोड़कर राम जी की रचनाएँ लिखने लगा तो देखा कि मात्र पाँच दिन :22 ,24 ,25,26 और 27 दिसम्बर में ही 45 गीत रचनाएँ पूर्ण हो गईं और जैसा कि मैंने अब साझा संग्रहों में लिखना छोड़ दिया है, यह बात भी सत्य प्रमाणित भी हो गई।मैंने श्री कौशल जी को बताया कि 45 रचनाएँ पूर्ण हो चुकी हैं ,अब आप एकल संग्रह ही प्रकाशित कर दें,तो बेहतर रहेगा। इधर उनकी स्वीकृति मिली, उधर मैंने अपने बेटे भारत से फोन किया कि भगवान राम और राम मंदिर को आधार बनाकर एक सुंदर – सा मुखावरण तैयार कर उसका डिजाइन मुझे भेज दे और बातों ही बातों में राम जी कृपा से यह काम भी पूरा हो गया और मुझे विश्वास है कि यह नव कृति ‘शुभम् राम ही साँचा आज 31 दिसम्बर को छप भी जाएगी।और एक दो सप्ताह में वह मेरे पास सुलभ होगी। इस कृति में पैंतालीस गीत रचनाओं तथा इनर,समर्पण ,पूर्वालोक, अनुक्रमणिका आदि सहित 111 पृष्ठों में यह कृति पूर्ण होगी।एतदर्थ मैं सदैव श्री कौशल जी उनकी पत्नी गौरी जी पुत्र श्री योगेश ,श्री देवेश और बेटी चंचल के स्नेह से अभिसिक्त रहूँगा।
‘शुभम् राम ही साँचा नामक गीतावली लिखते समय और उसके बाद की मानसिक राम मयता निस्संदेह एक ऐसा विषय है ,जिसे शब्दों में कह पाना असंभव हो रहा है। कई रचनाएँ मोबाइल पर लिखते समय मैं भाव विह्वल हुआ कि कुछ पल के लिए तर्जनी रूपी लेखनी रुक गई ,आँखों में जल भर आया और ऐसा लगा कि भगवान राम मेरे समक्ष विराज रहे हैं ।मेरी प्रभु राम जी से प्रार्थना है कि ऐसी राम मयता मुझे आजीवन प्रदान करे ,ताकि अपने इस जीवन को ही अयोध्या बनाने का सौभाग्य प्राप्त कर सकूँ।
इस राम-गीतावली में निबद्ध काव्य ऐसे विरल क्षणों की सृष्टि है,जो सामान्यतः नहीं होते। कतिपय गीत -रचनाओं को राम- भजन के रूप में गाया भी जा सकता है। अधिकांश गीत -रचनाएँ सरसी छंद में निबद्ध सरल भाषा में हैं। इसे मैं अपने इस मानव जीवन का परम सौभाग्य ही मानता हूँ कि यह कृति भगवान राम की ननिहाल कौशल राज्य छत्तीसगढ़ से ही प्रकाशित हो रही है।भगवान राम की माता कौशल्या का नाम अमृतप्रभा था। वह वर्तमान रायपुर जिले के चंदखुरी गाँव की रहने वाली थीं।माता कौशल्या के पिता का नाम सुकौशल था।माता कौशल्या का एकमात्र मंदिर चंदखुरी गाँव में आज भी देखा जा सकता है।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्