टुकड़े है मेरे दिल के
टुकड़े है मेरे दिल के इन्हे आकर उठा लो,
मझधार में है नैया मुझे कान्हा बचा लो।
मेरी सांसे तेरी रियामत है,
जिंदगी मेरी जो सलामत है,
खोकर मैं खुद को पाऊं अब दर्शन दिखा दो ।
मझधार में है ,,,,,,,,,,,,
संकट की घड़ी में सहारा तुम मेरा
दिल से में जब भी पुकारूं तू सामने खड़ा
, गलती की हो मेरी तो मुझे तुम ही संवारो
मझधार में,,,,,,,,,,,,
— वीणा चौबे