राम आयेंगे
राम आ रहे हैं तो हम क्या करें
जिसके राम आ रहे हैं
वे दिन रात उनके स्वागत की
तैयारियों में जूझ रहे हैं,
हमारे राम अभी नहीं आ रहे हैं
तो हम अपना काम कर रहे हैं।
उनके राम के आने का निमंत्रण भी
हम इसीलिए ठुकरा रहे हैं।
क्योंकि वे हमें यकीन नहीं दिला पा रहे हैं
कि हम सबके राम आ रहे हैं,।
फिर हमको निमंत्रण देने का मतलब क्या है
क्या हम भीड़ बढ़ाने वाले लग रहे हैं?
या उनके राम बड़े खास हैं
जो अभी आ रहे हैं?
या हमारी सलाह मानकर
या हमसे पूछकर उनके राम आ रहे हैं,
जो भी हो वे जाने या उनके राम
हमारे राम आयेंगे तो हम भी निमंत्रण भिजवा देंगे
निमंत्रण ठुकराने के आग्रह की
पर्ची अलग से लगवा देंगे
बस हिसाब बराबर हो जायेगा।
पर मुझे संदेह है कि वे हमारा निमंत्रण ठुकरायेंगे
क्योंकि इसी बहाने वो हमारे वोटों में
सेंध लगाने का मौका भी तो पा जायेंगे।
जानबूझकर हम उन्हें ऐसा मौका क्या दे पायेंगे?
अच्छा होगा हम निमंत्रण ही नहीं भिजवायेंगे
हमारे राम तो वैसे भी जैसे हम चाहेंगे
आखिर वैसे भी आ ही जायेंगे,
वैसे भी हम बेवकूफ हैं क्या?
जो सिर्फ राम के आने के लिए
पानी की तरह पैसा बहाएंगे
और इनकी तरह राम के नाम का
निमंत्रण बंटवाकर भीड़ बढ़ायेंगे
और बेवजह राम का प्रचार प्रचार कर
खुश होने का तमाशा दिखाएंगे।
और दूसरों के राम के आगमन पर
अपना समय व्यर्थ गंवाएंगे।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश