मनहरण घनाक्षरी
प्राप्त हो वरदहस्त,मठाधीशों का जिन्हें भी,ऐसे चाटुकार यहाँ ,मंच चढ़ जाते हैं।
करके छिछोरापन,सुना-सुना चुटकुले,कविता को पीछे छोड़, आगे बढ़ जाते हैं।
रोका-टोकी करे यदि,इनकी जो कभी कोई,उल्टे उसी पर सारे ,दोष मढ़ जाते हैं।
सीधे सच्चे साधक जो,मातु वीणापाणि के हैं,चुपचाप प्रतिमान,काव्य गढ़ जाते हैं।
— डाॅ. बिपिन पाण्डेय