क्षणिका
-1- लेखन
कांट छांट कर /
तोड़ मोड़ कर/
जब लिखने का/
प्रयास हुआ /
लेखन का उपहास हुआ!
-2- मानव या विषधर
हे मानव /
विषधर नहीं हो/
पर बदल केंचूली /
खुद डस अपनों को /
खुद ही दवा बन जाते हो /
इतना विष कहां से लाते हो?
-3- उपहास या संवेदना
किसी की निजता/
आत्महत्या, गिरफ्तारी,
और शवयात्रा की खबरें…
दिखाने का/
पत्रकारों को अधिकार है/
उपहास है या संवेदना …
सच यह बहस बेकार है 🙏
-4- उपकार
“नहीं गिनूंगी रोटियां”
कह बहू ने /
किया उपकार/
और चाही बस /
जमीं जायदाद।
-5- इम्पोर्टेड कार
बेटे की
बुलंदियों की गाथा/
“उन्होंने”/
सुनाई शाही अंदाज़ से/
कि छोड़ने आया था “उनको” वृद्धाश्रम/
वो नई इम्पोर्टेड कार से!
— अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’