कविता

जपो राम श्री राम

सब से पावन  नाम है, जपो राम  श्री राम।

राम नाम के जाप से, बनते   बिगड़े  काम।।

औरों को सुख दीजिए,  सेवा जनकी मान।

रहो  समर्पित राम के,  यही भक्ति ले जान।।

आया है किस काम को, सोचो मूढ़  गवार। 

बिन सिमरन श्री राम के,कभी न हो उद्धार।।

करिये सिमरन शांत से, भीतर रट मन राम। 

होंगे   पूरे   काज सब, जपो  राम  का नाम।।

छोड़ कपट सब मोह का,चित्त धरो हरिनाम। 

भक्ति शक्ति के  योग से,मिलता पावन धाम।।

सुबह जाप नित कीजिए,रहे पुलकित शरीर। 

चिंतन  से श्री राम  के, बदल  जाए तकदीर।।

मंदा  बोल  न  बोलिये, करती  मन को घात।

मीठा मन को जीत  ले, मीठी  कर   लो बात।।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995