जपो राम श्री राम
सब से पावन नाम है, जपो राम श्री राम।
राम नाम के जाप से, बनते बिगड़े काम।।
औरों को सुख दीजिए, सेवा जनकी मान।
रहो समर्पित राम के, यही भक्ति ले जान।।
आया है किस काम को, सोचो मूढ़ गवार।
बिन सिमरन श्री राम के,कभी न हो उद्धार।।
करिये सिमरन शांत से, भीतर रट मन राम।
होंगे पूरे काज सब, जपो राम का नाम।।
छोड़ कपट सब मोह का,चित्त धरो हरिनाम।
भक्ति शक्ति के योग से,मिलता पावन धाम।।
सुबह जाप नित कीजिए,रहे पुलकित शरीर।
चिंतन से श्री राम के, बदल जाए तकदीर।।
मंदा बोल न बोलिये, करती मन को घात।
मीठा मन को जीत ले, मीठी कर लो बात।।
— शिव सन्याल