नज़रों में समा गये हो तुम
नज़रों में समा गये हो तुम,बन के ख्वाब आ गये हो तुम।
नहीं होश में रहा यह दिल, एक नशा सा छा गये हो तुम।
खुमार उतरता नहीं क्या करूं,न जी सकूं न मैं मर सकूं,
मेरी नस नस में प्यार की प्रीत सजना जगा गये हो तुम।
मय सी मदमस्त तेरी आंखें, तेरे लवों पे टिकी मेरी सांसें,
इक दिल इक जान से हुए,ज़िंदगी में मेरे भा गये हो तुम।
चैन आती नहीं बिन तेरे सनम, तेरे हुए बिन फेरे सनम,
इक आग लगी दिल में मिलन की हाए लगा गये हो तुम।
फिर रही मदहोश तेरे शहर में, हर गली गली बाजार में,
मिले नहीं दर तेरा क्या करूं,कैसा पता बता गये हो तुम।
राह मैं देखती हूॅं दिन भर, मिले थे हम कभी हम सफर,
आंसू मेरे थमते नहीं कैसा रोग दिल को लगा गये हो तुम।
नज़रों में समा गये हो तुम, बन के ख्वाब आ गये हो तुम।
नहीं होश में रहा यह दिल, एक नशा सा छा गये हो तुम।
— शिव सन्याल