गीतिका/ग़ज़ल

नज़रों में समा गये हो तुम

नज़रों में समा गये हो तुम,बन के ख्वाब आ गये हो तुम।

नहीं होश में रहा यह दिल, एक नशा सा छा गये हो तुम।

खुमार उतरता नहीं क्या करूं,न जी सकूं न मैं  मर सकूं,

मेरी नस नस में प्यार की प्रीत  सजना जगा गये हो तुम।

मय सी मदमस्त तेरी आंखें, तेरे लवों पे टिकी मेरी सांसें,

इक दिल इक जान से हुए,ज़िंदगी में मेरे भा गये हो तुम।

चैन आती नहीं  बिन तेरे सनम, तेरे हुए बिन  फेरे सनम,

इक आग लगी दिल में मिलन की हाए लगा गये हो तुम।

फिर रही मदहोश तेरे शहर में,  हर गली गली बाजार में,

मिले नहीं दर तेरा क्या करूं,कैसा पता बता गये हो तुम।

राह मैं  देखती हूॅं  दिन भर, मिले थे हम कभी हम सफर,

आंसू मेरे थमते नहीं कैसा रोग दिल को लगा गये हो तुम।

नज़रों में समा गये हो तुम, बन के ख्वाब आ गये हो तुम।

नहीं होश में रहा  यह दिल, एक नशा सा छा गये हो तुम।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995