कविता

यह राष्ट्र धर्म हमारा है

नेकी करें मित्रता निभाएं  यह राष्ट्र धर्म हमारा है।

सभी मिल कर साथ रहें बस यही हमारा नारा है।

देश हित की सोच रखें, कुप्रथा को हम उखाड़ दें,

उच्च नीच का भेद मिटादें ऐसा यहाँ भाईचारा है।

उठा कर के हम  गले लगाएं गिरे हुए  इंसानों को,

मिल बाँट कर हम सब खाएं  ऐसा कर्म हमारा है। 

मां बहन बेटी की इज्जत करना यह रीत हमारी है, 

उनके मान को ठेस न पहुँचे उनका मर्म हमारा है। 

अखंड देश के हम पुजारी मानवता हमारी सेवा है, 

सर्वधर्म का आदर करते हर कण में ईश पसारा है। 

हम से  हमारा राष्ट्र है  हम जान न्योछावर कर देंगें, 

उज्जवल, पावन हराभरा यह भारत देश प्यारा है। 

उत्तर में  हिमालय प्रेहरी, दक्षिण में  वृहत समुद्र है, 

मिट्टी उगले सोना चांदी यहाँ बहती  अमृत धारा है।

गणतंत्र है प्रिय दिवस हम सब मिल हर्ष से  मनाएं, 

गगन से ऊँचा तिरंगा लहराता यह गौरव हमारा है। 

— शिव सन्याल 

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995