कविता

सपने

बड़े सुनहरे हैं सपने

घुल जाते हैं सांझ की

आभा में,

बनकर गुलाबी

डूब जाते हैं नदी में,

दिल से उठकर

बन जाते हैं गीत,

आबोहवा में मिल जाते हैं

भर देती हूं मिट्टी की

गुल्लक में,

फूल बनकर खिल जाते हैं

लिख देती हूं कोरे कागज़ में

प्रेम पत्र बनकर,

बे-ठिकाना लापता हो जाते हैं।

सविता दास सवि

पता- लाचित चौक सेन्ट्रल जेल के पास डाक-तेजपुर जिला- शोणितपुर असम 784001 मोबाईल 9435631938 शैक्षिक योग्यता- बी.ए (दर्शनशास्त्र) एम.ए (हिंदी) डी. एल.एड कार्य- सरकारी विद्यालय में अध्यापिका। लेखन विधा- कविता, आलेख, लघुकथा, कहानी,हाइकू इत्यादि।