बड़े सुनहरे हैं सपने
घुल जाते हैं सांझ की
आभा में,
बनकर गुलाबी
डूब जाते हैं नदी में,
दिल से उठकर
बन जाते हैं गीत,
आबोहवा में मिल जाते हैं
भर देती हूं मिट्टी की
गुल्लक में,
फूल बनकर खिल जाते हैं
लिख देती हूं कोरे कागज़ में
प्रेम पत्र बनकर,
बे-ठिकाना लापता हो जाते हैं।