कविता

विपत्ति

विपत्ति हो कोई भी

हिम्मत न हारिये

भय न कीजिये

न कायरता दिखलाइये

करें मुकाबला डटकर

वीरो की भांति उसका

खोने न पाए आत्म संयम

धैर्य रहे बरकरार

यह है परीक्षा की घड़ी

विपत्ति ले परीक्षा आपकी

पास होते जो इसमें

वह कुंदन बन निखरते अपने जीवन में.

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020