ग़ज़ल –सदा उन से निभाएंगे
मुहब्बत हम दिखाएंगे ,सदा उन से निभाएंगे।
निभा के प्रीत उन से ही ज़माने को दिखाएंगे।
दिखावा हम नहीं करते, रहे हम ही सदा साधे,
दिखावा है बुरा जग का, यही जग को बताएंगे।
निभानी प्रीत सब से है,बड़ा मुश्किल लगे सब को,
सदा जो रूठ हैं जाते , मना के आज लाएंगे।
नहीं कोई बुरा जग में, बुरा मन ही सदा होता,
भुला दे बैर मन से ही ,सभी मिल आप जाएंगे।
खुदा सब का सदा होता, चलाता नेक राहों में,
गया जो भूल खुद से ही, खुदा की राह लाएंगे।
बड़ा अनमोल हीरा यह ,मिला उस की दया से ही,
इबादत हम करें उस की, चरण में सिर झुकाएंगे।
— शिव सन्याल