कविता

जागना जरूरी है

जो जागता है,

वहीं असलियत जानता है,

तब वो सिर्फ सच को ही मानता है,

सही गलत पहचानता है,

सोये हुए तो मुर्दे भी रहते हैं,

क्या हो रहा,

क्यों हो रहा,

कभी कुछ भी नहीं कहते हैं,

हजारों बार बोला गया झूठ

उन्हें सच लगता है,

तब वो किसी की आस में जगता है,

कई जगह अनायास ठिठकता है,

सर झुकाता है और

नजरअंदाज करने से झिझकता है,

ऐसे लोगों को खास तौर से

प्रशिक्षित लोग डरा देते हैं,

कोशिशें होनी चाहिए जानने की,

छानने की,

और फिर उसे मानने की,

मगर लोग चले जा रहे हैं

आंख बंद कर,

नहीं कोई रह रहा संभल कर,

इसलिए जानना जरूरी है

हर बात को शरीर से लेकर

दिमाग तक मानने से पहले।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554