लघुकथा

लघुकथा – भाभी की चुड़ियांँ

         भैया और भाभी के बीच कुछ अनबन हुए तो सरला से रहा नहीं गया कि भैया ने भाभी के साथ जरूर कुछ ऐसा व्यवहार किये होंगे जिसे वह मुझसे फोन पर बतलायी नहीं। सिसक कर रह गई। आखिर कोई मर्द नशे में आकर नारी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों करता है? कि नारी हृदय से कांप जाती है। वह मादक चीज पीने के बाद कभी कलाई मरोड़ देता है तो कभी चुड़ियाँ ही फोड़ देता है। पगला कहीं का। सरला ने आते के साथ आवाज दिया -“कहांँ हो भाभी, जरा सामने तो आओ तुम, कैसी होॽ”

         “अरे सरला, आपको आने की क्या जरूरत थी, ऐसे ही कुछ होते रहता है पति-पत्नी के बीच।” सारी बातें वह एक स्वर में कह गई। 

          लेकिन भाभी की दोनों कलाई तो सुनी थी।            जिसे देख सरला ने कहा -“भाभी, चुड़ियाँ की कीमत कुछ और होती है। तुम इसे पहले पहनो।”

         “ठीक है बाबा,पहन लेती हूँ, मैं।”

          सरला मुस्कुरा उठी और,,,,, और भाभी की चुड़ियांँ नशे की बुरी आदत के मुंँह पर थप्पड़ जड़ रही थी।

— विद्या शंकर विद्यार्थी

विद्या शंकर विद्यार्थी

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