गीतिका – सुदृढ़ता का नाम किला है
सुदृढ़ता का नाम किला है।
जगती पर वह हमें मिला है।।
कभी मोम – सी कोमलता भी,
तूफानों में नहीं हिला है।
छूने में पाटल भी लज्जित,
भीतर से काठिन्य – शिला है।
सह ले वह भूकंप सुनामी,
नहीं किंतु वह सहे गिला है।
भीतर कभी झाँक कर देखो,
गाँव नहीं संभ्रांत जिला है।
महायुद्ध का कारण भी है,
पुरुषों में बहुमूल्य तिला है।
‘शुभम्’ न चलता काम जगत का,
समझो – समझो वह महिला है।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्’