फिर बातें करें
निकल आओ ओढ़ करके शाल फिर बातें करें
देख लूँ मैं फूल जैसे गाल फिर बातें करें
मैं सुनाऊँ हाल ए दिल सुनती रहो तुम डूब कर
तुम भी हौले से सुनाओ हाल फिर बातें करें
आहटें कदमों की आहिस्ता सुनाएं दास्तां
सुन के हिलने लगे मन का ताल फिर बातें करें
घाट पर बैठे रहें दरिया में आंखें डाल कर
खुल रहा हो धीरे धीरे जाल फिर बातें करें
एक दस्तावेज़ जैसे दफ्न है दिल में मेरे
कोई पूछे मेरे मन का हाल फिर बातें करें
— ओम निश्चल