एक ऐसा बलात्कार जिसके लिए कोई भी सज़ा तय नहीं
चलो ! किसी ने तो आवाज़ उठाई उस घिनौने कृत्य पर जिसे हम बलात्कार कहते हैं । अब आप सोच रहे होंगे अरे इस मे कौन सी नई बात है ? बलात्कार विषय पर तो बड़े-बड़े महाधनुर्धर पहले ही आवाज़ उठा चुके हैं और इंसाफ भी मिला है बहुत लोगों को जैसे निर्भया कांड आदि अनगिनत , गुनाह पर पहले ही फैसले आ चुके हैं । तो पाठक ये भी सोच रहे होंगे की इस लेखिका को शायद पता ही नहीं तभी तो ये लिख रही की चलो किसी ने तो आवाज़ उठाई । जी नहीं! मैं जिस बलात्कार विषय पर आज आवाज़ उठाई हूॅं वह बलात्कार भिन्न तरह का है । तो चलिए , मैं आपके मन में उठे सवाल को नजरंदाज करते हुए पुनः वही लाईन दोहराऊंगी…
चलो किसी ने तो आवाज़ उठाई उस घिनौने कृत्य पर जिसे हम बलात्कार कहते हैं । अब समझिये मैं किस तरह के बलात्कार और किसके साथ किये गये बलात्कार की बात कर रही हूॅं । मैं यहॉं किसी इंसान के साथ होने वाले घिनौने कृत्य की नहीं बल्कि बात कर रही हूॅं उन बेजूबान जानवरों के साथ होने वाले कृत्य की जिसे कभी खबरों की सुर्खियों में या किसी भी सोशल मिडिया में भी दिखाया ही नहीं गया । भाई अब सोचने वाली और सच कड़वी बोलने वाली बात यह है ना की , इस ओर कभी किसी का ध्यान गया होगा तो ही इस विषय पर कोई कुछ बोल पाएगा ना । क्यों सही कह रही ना पाठकों मैं ?
हाल ही मे एक शहर , भारत देश का शहर , नाम तो नहीं जानती शहर का पर दिल्ली के आस-पास का ही कोई क्षेत्र था वहॉं का एक विडियो सोशल मीडिया पर मेरी आंखों के सामने आया , तो मैं सब काम भुला के उस विडियो पर उठाई हुई आवाज़ जिसमें आंसूओं संग दर्द भरी चित्कार पर ध्यान केन्द्रित पर कान लगा सुनने लगी । इतना जाहिर था कि वो उठाई आवाज़ जिसमें दर्द-ए चित्कार व आंसूं समाए थे वो किसी महिला के ही थे । महिला का चेहरा नहीं दिखाया गया । विडियो बनाने वाले ने पास खड़े होकर महिला के पीछे से शायद चोरी-छिपे विडियो बनाया होगा और पोस्ट कर दिया सोशल मिडिया पर । चलिए अब जानते हैं की आखिर वो वाक्या क्या है जिसमें भिन्न तरीके के बलात्कार के लिए आवाज़ उठाई गयी , जिसने मुझे भी यह सोचने पर विवश कर दिया की सच मेरा भी ओरों की तरह कभी इस विषय पर ध्यान क्यों नहीं गया ? अब आगे सुनिये…
दरअसल एक महिला एक ग्वाले की खुली छत के नीचे बनी गौशाला के पास से गुजर रही थी , तब उसने देखा कि एक गाय को समीप के पेड़ व एक खूंटी के सहारे बॉंध दिया गया है और उस गाय के मालिक अर्थात पशु पालक ने चार बैल उसके इर्द-गिर्द छोड़ दिये हैं … पुनः ध्यान दीजिएगा गाय को बॉंधा व बैल छोड़े गये और वो बैल कभी कोई तो कभी कोई उस गाय के ऊपर चढ़ संभोग बनाने की कोशिश कर रहे हैं । गाय खूंटी से बंधी होने के कारण बस यहॉं से वहॉं खिसक अपने सामर्थ्य अनुसार बल लगा कर धकेल रही बैलों को तब उस महिला को ऐसा लगा मानो वो गाय नकार रही उस संभोग के नाम पर उसके साथ होने वाले बलात्कार को जो उस समय उसकी स्वेच्छा के बिना ,मतलब की ज़बरदस्ती करवाया जा रहा था उसकी इच्छा के विरुद्ध । बस ये मंज़र देख वो महिला इतनी पीड़ा से भर गयी और वहां खड़े ग्वाले के उपर भड़क गयी साथ ही गाय को आज़ाद करने की मांग करने लगी । देखते ही देखते वहां इंसानों की भीड़ लग गयी और एक ने तो विडियो बनाकर अपलोड़ कर सोशल मिडिया पर शायद ये सोच कर डाला होगा कि इस ओर शायद किसी का ध्यान जाए । तो सच सही सोच थी , मैं भी इस कोशिश में अपनी कलम के माध्यम से आहुति दे रही हूॅं , शायद मेरे लिखे शब्द पढ़ कोई पशुपालक ऐसा न करें ……
आज ये विडियो देख बीते बचपन के उस समय में खो गई जब मैं पढ़ाई से बचने के लिए अपनी दादी मॉं के साथ रोज़ शाम के समय दूध लेने गौशाला जाती थी । वहॉं दादी और ग्वाला बात करते रहते जब तक दूध ग्वाला निकाले और दे । इस बीच में अक्सर मेरी दादी कहती थी कि गाय को बच्चा कब होगा ? हमें तो चिक्की का दूध चाहिए गाय का । तब पशुपालक बताता कि चार-पांच दिनों से ही बैलों के साथ खुला छोड़ देता है वो गायों को तब ये बात मुझे बिल्कुल समझ नहीं आती थी पर अब समझ आया कि वो क्यों छोड़ता था रात भर । यहॉं ग्वाला अपने स्वार्थ के लिए अपना फायदा देखते हुए दो बैलों संग जबरदस्ती गाय का बलात्कार करवाते । यदि हम इंसानों कि दुनिया में झॉंके तो जब स्त्री या पुरुष का मन नहीं हो फिर भी जबरदस्ती किया जाए तो वो पीड़ा दायक ही होता है संभोग और न ही उसमें आनंद की अनुभूति होती । तो यही बात भी पशुओं पर लागू होती है । सच उस बहन के आंसू दर्द व्यर्थ नहीं गये । उसके आंसूओं और दर्द ने जो कि एक गाय के साथ कराए जा रहे दुर्व्यवहार के लिये थे उसने मेरे हृदय और मेरी कलम को भी छलनी करके रख दिया जिससे लिखने को आतुर हो गयी मेरी कलम दर्द किसी ओर का घायल जज़्बात मेरे और मेरी कलम के ।
— वीना आडवाणी तन्वी