सूरज बोलता है
फूल खिल रहे हैं
ओस गिर रही है
घास कितनी हरी है
और कितनी ताज़ा भी
हवा इतनी ठंड क्यों है
मैं सुन रहा हूँ
वे बातें
ऊँचे-ऊँचे पहाड़ बादलों से कर रहे हैं
प्रकृति,
तुम हरे पेड़ों और मधुमाख्कियों के बीच
कितने सुंदर हो…
— कुमुदु दसनायक, श्री लंका