हम हिंदू, हिन्दुस्तान हमारा
‘जपो निरंतर एक जबान, हिंदी, हिंदू,हिन्दुस्तान’ प्रताप नारायण मिश्र जी की ये पंक्ति आज भी राष्ट्रवादियों का आह्वान करती है। राष्ट्रवाद उत्थान,राष्ट्रीय गौरव और सुसुप्त भारतीयों के जागरण का आह्वान करती है। ये उद्घोष राष्ट्रीय जीवन के लिए अत्यावश्यक है। राष्ट्रवाद की धारणा राष्ट्र की एकता,अखंडता,सुरक्षा, विकास तथा राष्ट्र जीवन की पहली आवश्यक शर्त है। जिस देश में राष्ट्रवाद की भावना नहीं वह राष्ट्र एक इकाई होते हुए भी आन्तरिक भावना के आधार पर विभाजित होता है।
हमें राष्ट्रवाद को जीवित रखने के लिए एक मंत्र को जपना होगा कि ‘हम हिंदू,हिन्दुस्तान हमारा’ इसे प्रचारित और प्रसारित करना होगा।
इस मंत्र से लोगों को आपत्ति हो सकती है। कहेंगे कि ये सेक्युलरिज्म के खिलाफ एक षड्यंत्र है। ये अल्पसंख्यकों को दबाना चाहते है। हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते है। मुसलमानों को भड़काने के लिए वाक् योद्धा तिकड़म लगायेंगे। दंगे कराने की धमकी देंगे।
हमारे देश के राजनीतिक दलों में तथा राजनेताओं में राजनीतिक अनुशासन हीनता है। राहुल गाँधी राजनीति के वृक्ष का कच्चा फल है।
हमें इतिहास की सहायता लेनी चाहिए इस राजनीतिक उन्माद को दूर करने लिए जो राष्ट्रवाद की भावना के खिलाफ है। विशेषकर मुसलमानों को समझाने के लिए राष्ट्रवाद के लिए उक्त मंत्र का जाप करना चाहिए।
‘हिंदी’ शब्द फारसी भाषा का है। फारस यानी ईरान और यहाँ के निवासी मुसलमान है। हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के सिन्धु शब्द से हुई। इसी का फारसी रूपांतरण हिंदी है। फारसी में हिंदी की स ध्वनि का उच्चारण ह करते है।इसका प्रभाव राजस्थानी भाषा पर है। राजस्थान के मारवाड़, मेरवाड़ा क्षेत्र की बोली में स को ह बोलते है। सड़क को हड़क बोलते है। भाषा के अर्थ में हिंदी का प्रयोग फारस और अरब में होता है।
ईरान के बादशाह नौशेरवाँ के हकीम बजरोया ने पंचतंत्र की कहानियों का अनुवाद किया। इस अनुवाद की भूमिका बादशाह के मंत्री बुजर्च मिहर ने लिखी। भूमिका में कहा गया कि यह अनुवाद जबाने-हिंदी से किया गया।
तैमूरलंग के पोते शरफुद्दीन यज्दी ने अपने ग्रंथ जफरनामा में विदेशों में हिंदी भाषा के अर्थ में हिंदी शब्द का प्रयोग पहली बार किया। अमीर खुसरों ने भारतीय मुसलमानों के लिए हिंदी शब्द का प्रयोग किया। ईरानी लोगों ने हिन्दू और हिन्दुस्तान नाम दिया। सिन्धु नदी के आसपास के क्षेत्र को हिन्द प्रदेश कहा। कालांतर में यहाँ के निवासियों को हिन्दू कहा।
ये सारे नाम मुसलमानों ने दिये। हमारे पूर्वज तो आर्य थे। प्राचीन संस्कृति में यहाँ की नारियां पति को आर्य कहती थी। संस्कृत में आर्य शब्द का जिक्र है। जब आर्यावर्त्त के लोगों ने ये सारे मुसलमानों ने दिये। लोगों ने अपना लिए तो मुसलमानों को आज परेशानी क्यों है। जब हम गर्व से कहते है हम हिंदू है हिंदुस्तान हमारा तो परेशानी का कारण होना नहीं चाहिए। मुसलमानों के दिये नामों को वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र से ग्रहण किया।
हिन्दू शब्द वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी वैदिक भावना का प्रतिनिधि शब्द है। हिंदू एक जीवन दर्शन है,जीवन शैली है। मुसलमानों को तो गर्व करना चाहिए हिन्दुस्तान जैसी गौरवमयी धरा इनकी अपनी है।
हिंदू धर्म का अवतार शब्द नहीं है। धर्म तो हमारा सनातन है। हिंदू संतुलित,सद्भाव,समरसता का भावपूर्ण शब्द है। जो यहाँ के निवासियों का प्रतिनिधि है। धर्म तो नियामक तत्व है। धर्म के बिना राजनीति विधवा है। संविधान तो बाद में बना है। पहले धर्म ही संविधान था। धर्म का मतलब पूजा आस्था की संकुचित प्रचलित पद्धति का नाम नहीं है। धर्म समाज का नियामक है। धर्म आधारित समाज और राजनीति ही राष्ट्र के निर्माता
है। धर्म को राजनीति से अलग करने वाले समाज विद्रोही है। धर्म धृ धातु से बना जिसका अर्थ है धारण करना। कर्तव्य ही धर्म है। ये ही धारण योग्य है।
आर्यों की संस्कृति सभ्यता के वाहक होने के नाते आज हमारा धर्म है कि हम वसुधैव कुटुम्बकम को आगे बढ़ायें। राष्ट्रवाद के पोषक तत्वों को फैलाए। मुसलमानों को घबराना नहीं चाहिए। हम एक भी संस्कृति के वाहक है। राजनेताओं की स्वार्थपरता को जीवन का केन्द्र न बनाये।ऐतिहासिक भौगोलिक बदलाव को स्वीकार वर्तमान समाज की नई दिशा में योगदान दे। राजनीतिक रोटियों को सिकने में खुद को जलाये नहीं। नेताओं की राजनीतिक अनुशासन हीनता देश के लिए खतरा है। इसलिए सभी को राष्ट्रवादी विचारधारा को अपनाना चाहिए। हम हिंदू है, हिन्दुस्तान हमारा है।
— ज्ञानीचोर