ऐ वीर जवान
ऐे सैनिक ! फौजी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।
गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी
अपनी माटी की रक्षा को,तेरी अमर जवानी
तेरी देशभक्ति लखकर के,माथे तेरे चंदन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।
आँधी-तूफाँ खाते हैं भय,हरदम माथ झुकाते
रिपु तो तुझको देख सिहरता,घुसपैठी थर्राते
सीमाओं के प्रहरी तू तो,वीर शिवा का नंदन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।
तू सीमा पर डटा हुआ पर,हम त्यौहार मनाते
तू जगता,मौसम से लड़ता,हम नींदों में जाते
तेरे कारण खुशहाली है,किंचित भी ना क्रंदन ।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।
मात-पिता,बहना-भाई सब,तेरे भी हैं नाते
तू पति है,तो पुत्र भी चोखा,तुझको सभी सुहाते
पर अपने इस मुल्क़ की ख़ातिर,छोड़े तू सब बंधन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।
तुझसा कोई और न दूजा,सैनिक तू यशगानी
केवल इस माटी की सेवा की,तूने मन में ठानी
बोले नित जयहिंद का नारा,तेरा पावन तन-मन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।
लोकतंत्र है तुझसे रक्षित,सेवा में तू हर पल
लिये समर्पण,त्याग औ’ निष्ठा,तू गंगा की कल-कल
परमवीर तू,महाबली भी,गाता है जन-गण-मन ।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।
— प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे