माँ जन्नत की परिभाषा
मा जन्नत की परिभाषा।
माँ पीढी की अभिलाषा।
माँ मन्दिर में जैसे ज्योति।
माँ समता से भरी गोदी।
माँ शीतल नीर समन्दर
माँ सचखण्ड में हरिमन्दिर।
माँ धरती नारी अम्बर।
माँ सुखमणि दुख अन्दर।
माँ शुभ मंगल अभिवादन।
माँ मारूस्थल में सावन।
माँ अग्नि नारी मंजर।
माँ दुश्मन के लिए खंजर।
माँ सत्यम सुन्दरम शक्ति।
माँ पूजा नारी भक्ति।
माँ बंदनवार है दर पर।
माँ कृपा दृष्टि घर पर।
माँ ज्यों खिलती खुशहाली।
माँ सारे जग की वाली।
माँ बहता दरिया है पर।
माँ चढ़ती बाढ़ का डर।
माँ मंगल कलश प्यारा।
माँ प्रभ का रूप न्यारा।
माँ से है यह संसार।
माँ से है सब भण्डार।
माँ कोमल गंदल जैसी।
माँ खुशबू चंदन जैसी।
माँ लता मुहोब्बत वाली।
माँ फूलों से लदी डाली।
माँ सर्वकला सम्पन्न।
माँ अर्पण नारी दर्पण।
माँ सारे जग की जननी।
माँ ज्यों दीपक की अग्नि।
माँ अमृत पाक पवित्र।
माँ सब से सच्चा मित्र।
माँ बालम है नारीश्वर।
माँ धर्म परम अखिलेश्वर।
— बलविंदर बालम