गज़ल़
रौशन रौशन प्यार मिले हरियाणा में।
सूरज के इकरार मिले हरियाणा में।
मन्दिर, चर्च, गुरूद्वारे मस्ज़िद मठ-द्वारे,
जन्नत के दीदार मिले हरियाणा में।
निर्धन की झुगी से ऊँचे महलों तक,
घर-घर में सत्कार मिले हरियाणा में।
दुश्मन का व्यवहार भी सज्जन जैसा है,
दीपक जैसा प्यार मिले हरियाणा में।
हर इक चेहरे ऊपर लाली दिखती है,
उन्नति के भण्ड़ार मिले हरियाणा में।
भिन्न-भिन्न रिश्तों में है खुशबू उल्फत की,
राम-भरत किरदार मिले हरियाणा में।
लड़के कम नहीं हैं अपने यौवन में,
लड़की के शुद्ध आचार मिले हरियाणा में।
अपने सभ्याचार में उत्तम सर्वोतम,
सुन्दरता साकार मिले हरियाणा में।
फूलों वाली डाली जैसे झुक जाती,
सम्यक एैसे व्यवहार मिले हरियाणा में।
तब ही हर इक दामपत्त्य सुख का साथी है,
सच्चाई का संसार मिले हरियाणा में।
आशायों की पूर्णता में फूल खिले हैं,
तन्मय के कचनार मिले हरियाणा में।
भारत मां की शान बढ़ाई दुनियां में,
क्रीड़ा के सरदार मिले हरियाणा में।
कृषि, उद्योग, शिक्षा, विभन्न क्षेत्र में,
उन्नति के संस्कार मिले हरियाणा में।
ऋषियों, मुनियों, संतों, गुरूयों, पीरों के,
शुभमंगल दरबार मिले हरियाणा में।
तब ही बालम फसलों में खुशहाली है।
नद-नदियों के प्यार मिले हरियाणा में।
— बलविंन्दर बालम