महिला दिवस
हम एक तरफ बात करते हैं, कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की| स्त्री पुरुष दोनों एक सम हैं साथ मिलकर के ही काम करनी चाहिए| लेकिन क्या हम ऐसा कर पाते हैं? जहाँ एक स्त्री पुरुष साथ में काम करते हैं फिर देखिए अफवाहें किस तरह की फैलते हैं| फैलाने वाले हम ही हैं तो हमें क्या अधिकार है महिला दिवस मनाने की| अभी चारों तरफ महिला दिवस की ही शोर है और हो भी क्यों ना कम से कम सिर्फ एक दिन तो महिलाओं का सम्मान हो| हमें आज तक ये समझ नहीं आया कि महिला दिवस, हिंदी दिवस, मातृ दिवस, प्रेम दिवस यह मनाए क्यों जाते हैं| जन्मदिवस, शादी की सालगिरह और पुण्यतिथि यह तो समझ आता भी है| फिर भी ठीक है हम महिला दिवस मना रहे हैं तो होता क्या है, बदलाव कहाँ आया है| विभिन्न मंचों पर सम्मानित कर दिए, ऑफिस में केक काटा कुछ उपहार दे दिए और बन गया महिला दिवस| फिर दूसरे दिन से फिर वही कानाफूसी और दकियानूसी बातें| ऑफिस कि अगर बात कर ले तो हमारे जो उच्च अधिकारी हैं, अपने कलीग्स को बुलाते हैं, कभी वजह कभी बेवजह जोर से चिल्लाते हैं,ऑफिस के सभी लोग सुनते हैं तो यह महिला का सम्मान है? कहने का अभिप्राय यह नहीं कि ऐसा सिर्फ पुरुष वर्ग ही करते हैं| एक महिला दूसरी महिला के साथ भी घृणित विचार रखती है और बिना सच जान एक दूसरे को बोलते रहती हैं| एक महिला दूसरी महिला के साथ भी संकुचित मानसिकता रखती है और विभिन्न तरह के अफवाहें उड़ाई जाती हैं| मसलन कोई अगर थोड़े ऊंचे पदों पर आसीन हो जाए या अधिक ख्याति प्राप्त कर ली तो चरित्र की भी धज्जियां उड़ाई जाती हैं| लोग बाज नहीं आते| अभी सोशल मीडिया का जमाना है तो उनके जरिए विभिन्न तरह के संदेश आते हैं,और फिर एक दिन हम सुनिश्चित करते हैं कि नहीं नहीं आज तो महिला दिवस मनाना चाहिए| जरूर मनाये महिला दिवस किंतु अन्य दिनों में भी महिलाओं के लिए मान सम्मान आदर अपेक्षित है और यह सभी वर्ग के लोगों के लिए है| कोई अविवाहित है तो उसका कारण लोग पूछते हैं, उसकी अपनी निजी सोच है| किसी के पति का देहांत हो गया तो इतनासजती क्यों है,लगता ही नहीं की पति की डेथ हुई है! अरे तो वो रोती रहे वो| यह सबसे बाहर निकलने की नितांत आवश्यकता है|इसके लिए महिलाओं को भी स्वयं जागरूक होने की आवश्यकता है| उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे वाले इस मानसिकता से निकलनी होगी| शिक्षित रहे, शिक्षा बाँटें, जागरूक रहें, खुद एक दूसरे का आदर करें छींटाकशी नहीं| आपसी सहयोग और सामंजस्य से रहे तो जितनी भी समस्याएं हैं, आपस में ही सुलझ जाएँगी| तभी सही मायने में हम महिला दिवस मना सकते हैं|
— सविता सिंह मीरा