कविता

हर हर महादेव 

महाशिवरात्रि का पर्व है आया।

शिवालयो में उत्सव है छाया।।

आज भक्तो की पूरी हो जाय मांग।

चढ़ाए धतूरा, बेल पत्ता और भांग।।

सबके ह्रदय में रहते हैं सदैव।

देवो के देव हर हर महादेव।।

महादेव की महिमा है न्यारी ।

भक्तो के कष्ट हर देती सारी।।

विष अपने कंठ में धारण किए।

तब से वे नीलकंठ कहलाए।।

बदन में पहने देखो मृगछाला।

और गले में रुद्राक्ष की माला।।

जिसकी जटा से निकली है गंगा।

आज शिवजी का बज रहा डंका।।

जब जब दिव्य रूप देखूं इनका।

तब तब कष्ट मिटे मेरे  मन का।।

शिव जी  को चढ़ा एक लोटा जल।

तेरे हर समस्या का हो जायेगा हल।।

शिवजी का शब्दो में क्या बखान करूं।

हर हर महादेव का मैं गुणगान करूं।।

— श्याम सुंदर साहू 

श्याम सुन्दर साहू

राजिम गरियाबंद (छ. ग.)