नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी,
तू आधार जगत का है,
वरदान है तू वरदायनी,
नारी तू नारायणी।
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नारी तू नारायणी,
तुझसे जीवन है प्राण तू ही,
निर्मात्री तू निर्माण तू ही,
है धर्म तू धर्म परायणी,
नारी तू नारायणी।
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नारी तू नारायणी
तू पूज्या है तू ही पूजन,
मस्तिष्क है तू है तू ही मन,
तू मोह-मुक्ति हे तारणी,
नारी तू नारायणी।
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नारी तू नारायणी,
फिर अत्याचार तुझी पे क्यों,
फिर तू ही क्यों है दलित-दमित,
कहें तुझको क्यों व्यभिचारिणी?
नारी तू नारायणी।
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नारी तू नारायणी
चल उठ ले ले अधिकार अपना,
ले हिस्से का संसार अपना,
उग सूर्य तू हो उत्तरायणी,
नारी तू नारायणी।
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नारी तू नारायणी,
चल दिखा के जीवन तुझसे है,
सृष्टि का कण-कण तुझसे है,
तू नहीं पुरुष की चारणी,
नारी तू नारायणी।
हे नारी तू नारायणी!
— मुकेश जोशी ‘भारद्वाज’