गीत/नवगीत

करते स्वागत

हे बसंत ऋतुराज तुम्हारा , स्वागत करते आओ आज ।

हर क्यारी में आकर तुम अब , सजते करते ही हो काज ।।

डाली – डाली कोयल सुन लो , प्यारी अभी रही है कूक ।
खोयी विरहन के उर में ही , अभी जगाती देखो हूक ।।
फूल – फूल पर डोले तितली , भ्रमर गूँजते दें आवाज़ ।
हे बसंत ऋतुराज तुम्हारा , स्वागत करते आओ आज ।।

प्रकृति अनोखी देखें सजती , पीली सरसों जाती फूल ।
देखें गुलाब लाल – पीत हम , आसपास हैं जिनके शूल ।।
आम्र – मंजरी लगती ऐसी , ज्यों पेड़ों ने पहना ताज ।
हे बसंत ऋतुराज तुम्हारा , स्वागत करते आओ आज ।।

प्रेमी – प्रेयसि का मन हरते , कहलाते हो तुम मधुमास ।
मादक तन – मन हो जाता है , सभी रचाते हैं तब रास ।।
इस कोने से उस कोने तक ,फैला अभी तुम्हारा राज ।
हे बसंत ऋतुराज तुम्हारा , स्वागत करते आओ आज ।।

खग – मृग वृंद रहे भौचक्के , सुख पाते हैं सभी असीम ।
हवा सनसना चूमे सबको , राज हो या डैनी , करीम ।।
मन में सभी चितेरों के सुन , अभी रही शहनाई बाज ।
हे बसंत ऋतुराज तुम्हारा , स्वागत करते आओ आज ।।

हे बसंत ऋतुराज तुम्हारा , स्वागत है आओ आज ।
हर क्यारी में आकर तुम अब , सजते करते ही हो काज ।।

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’