प्रीत मीत की बड़ी निराली
प्रीत मीत की बड़ी निराली,
रीत यार की है दिल वाली।।
करलो यार प्रेम की पूजा,
ये ही स्वर्ग दिलाने वाली।।
जब भी मिलो प्रेमाश्रु भर कर,
हृदय चुरा लो बाते कर कर।
दुनिया से न्यारा वो लगता,
प्रीत जिसकी है मतवाली।। प्रीत मीत
राधा जी सी प्रीत करे जो,
मीरा जी से गीत रचे जो।
सपने में ज्यों ब्याह रचाए,
कृष्ण में लीन होने वाली।। प्रीत मीत
दीन के मित्र बने थे कन्हाई ,
विप्र सुदामा की बात बनाई।
बिना शस्त्र भारत लड़ बैठ्यो,
वसुधा किन्ही दुष्टन खाली।। प्रीत मीत
— डॉ. शिवदत्त शर्मा “शिव”