कविता

विचलित और अशांत मन

जीवन में विचलित और अशांत हदय जब होता है

जीवन कुछ नीरसता से भरा लगने लगता है

जब दूर दूर तक कोई सहारा नजर नहीं आता है

सब रिश्तें भी दूर जाते हुए लगते है

जीवन मिला हमको इसको हसँकर जीते है

एक नई उमंग के साथ नए सपनें सजोतें है

जिंदगी को हम खूबसूरत बनाते है

जब आत्मविश्वास होता सब काम होते है

बुलंद हौसलों से ही मंजिल हम पाते है

ह्दय भी विचलित और अशांत नहीं होता है

जिसके सर पर प्रभु का हाथ होता है[….]

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश