घबराहट क्यों?
मानाकि हम दुनिया में जीने आए हैं,
जिंदगी का हर रस पीने आए हैं,
पर हम भूल क्यों जाते हैं,
कि हर परीक्षा,
हर तकलीफ,
हमें मजबूत करने आते हैं,
बिना संघर्ष का जीवन
हम कैसे सम्पूर्ण मान लें,
खुशियों को ही
जीवन का हिस्सा क्यों जान लें,
संघर्षों से लड़ना,
पल पल भिड़ना,
और फतह हासिल कर
एक कदम आगे बढ़ना,
यही तो हमारे जीवटता का प्रतीक है,
मौत की ओर बढ़ते जीवन का हर कदम
होता ही सटीक है,
फिर जीवन के विभिन्न पायदानों से
हम रह रह घबराएं क्यों,
इसे अपनी मंजिल की सीढ़ी
कैसे और किस कारण न बनाएं क्यों,
पानी में उतर कर यदि वे घबराते,
फिर कैसे वो गोताखोर कहलाते,
अदम्य साहस और शक्ति ही
हमें सफल बनाते हैं,
तभी तो ये जज्बा
हमें काफी आगे तक लेके जाते हैं,
घबराहट सिर्फ ठिठकाता है,
पर इरादे खत्म नहीं कर सकता।
— राजेन्द्र लाहिरी