गीतिका/ग़ज़ल

कस्तूरी कुंडली बसे

आज खुद से खुद की मुलाकात करते हैं

कुछ जरूरी  संग कुछ खास बात करते हैं।

तलाशते हैं हम जो सदा खुशियां दूसरों में 

अपने मन में ही उसकी तहकीकात करते हैं।

उदासी क्यों रहे पलभर की भी जीवन में 

चलो न हंसी की आज से शुरुआत करते हैं। 

देखे हैं लोगों ने कई कई अमावसे 

आज की रात पूनम की रात करते हैं। 

क्यों करना शिकायते हमें जमाने से 

हम ही आज कुछ करामत करते हैं।

— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]