गज़ल
ना मैं हारूँगा, ना मेरा इश्क हारेगा ,
न कभी हवा रूकी ,न सूरज थकेगा।
मकान के चिरागों को हवा मत देना ,
घर जले न जले दिल जलता रहेगा ।
राह बदल लेता जब कोई चलते चलते ,
मंजिल से भटक वो गुमराह हो चलेगा ।
गलतियाँ माफ करना भी सीख लेना ,
वरना जिन्दगी में सुकून ना मिलेगा ।
न तू गम कर न किसी को गम में डाल,
नश्वर जिन्दगी सदा तेरा इंसाफ करेगा ।
— शिवनन्दन सिंह