फागुन की मस्ती
फागुन का महीना आया,
मस्ती का मौसम साथ है लाया,
गेहूं चना की फसल पकी है,
खुशहाली की आस जगी है।
रंग-रंग के फूल सलोने,
लगते प्रकृति के रम्य खिलौने.
होली का त्योहार भी आया,
सबकी मौज-बहार ले आया।
राधा-मोहन रास रचाएं,
सब मिल झूमें-नाचें-गाएं.
रंग उड़ाएं, गाएं फाग,
मस्त हो छेड़ें सुरीले राग।
होली है भाई होली है,
खुशियों भरी रंगोली है.
ब्रज है या प्रेम-नगरिया,
खुशियों की छलकी है गगरिया।
आओ रंग लें हम भी तन-मन,
मन को बना लें सुंदर मधुबन.
खुद भी भीगें सबको भिगो लें,
रंग से वैर-भाव को धोलें।
— लीला तिवानी