कविता

फागुन की मस्ती

फागुन का महीना आया,
मस्ती का मौसम साथ है लाया,
गेहूं चना की फसल पकी है,
खुशहाली की आस जगी है।
रंग-रंग के फूल सलोने,
लगते प्रकृति के रम्य खिलौने.
होली का त्योहार भी आया,
सबकी मौज-बहार ले आया।
राधा-मोहन रास रचाएं,
सब मिल झूमें-नाचें-गाएं.
रंग उड़ाएं, गाएं फाग,
मस्त हो छेड़ें सुरीले राग।
होली है भाई होली है,
खुशियों भरी रंगोली है.
ब्रज है या प्रेम-नगरिया,
खुशियों की छलकी है गगरिया।
आओ रंग लें हम भी तन-मन,
मन को बना लें सुंदर मधुबन.
खुद भी भीगें सबको भिगो लें,
रंग से वैर-भाव को धोलें।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244