कविता

मेरे रंग में रंगने वाली

पहले यह दिल मेरा ही था,
हम बस मन की सुनते रहे|
जब से तुम आ गए हो सखे,
ख्वाब सुनहरे बुनते  रहे|

मैं अब तेरी  तू मेरा है,
और भला हमें  क्या करना|
पाकर तुझे मन नहीं भरता
तुझको तुझसे  चुनते रहे|

आँखों में पल पल पलते हो,
नजर कोई लगाएगा क्या?
ये अंजन तुझ पर वार दिये ,
तुझे नैन में  गुनते  रहे|

बंद पलक करके जब देखे
छवि तेरी ही निराली थी|
तुम बस यूँ ही कहते रहना
हम बस तुझको सुनते रहे|

जब तक मुझको तुम न मिले थे
सुना सा  दिल का आँगन था|
अब मन मेरा उपवन सा है,
फूल से हम निखरते रहे।

मुझ पर तेरा रंग चढ़ा यों
श्यामल तन मन हो गया,
गौर वर्ण भाये ना हमको
श्याम रंग मे रंगते रहे।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]