ग़ज़ल
फायदा होगा भूल जाने से
बात बढ़ जाएगी बढ़ाने से
आहें, आँसू, शायरी का हुनर
हाथ आया है दिल लगाने से
बिन तेरे ये महफिलें सारी
हमको लगते हैं कैदखाने से
मैं भी इजहार कर नहीं पाया
तुम भी डरते रहे ज़माने से
मेरी हर बात में झलकते हो
छुपते भी नहीं छुपाने से
इश्क की आग जाने कैसी है
और भड़की है जो बुझाने से
दिल तेरे बिना नहीं लगता
आ भी जा किसी बहाने से
— भरत मल्होत्रा