जिंदगी अनबूझ पहेली
जिंदगी एक अनबूझ पहेली
गूढ रहस्यों से भरी
पर्त दर पर्त
खुलती
न मालूम क्या हो
हर अगले पर्त के अंदर
फूल
या काटें
जो भी हों
जीना है
उसे स्वीकार करके
— ब्रजेश गुप्ता
जिंदगी एक अनबूझ पहेली
गूढ रहस्यों से भरी
पर्त दर पर्त
खुलती
न मालूम क्या हो
हर अगले पर्त के अंदर
फूल
या काटें
जो भी हों
जीना है
उसे स्वीकार करके
— ब्रजेश गुप्ता