स्कूली बच्चों की सेफ्टी का सवाल
वैश्विक स्तरपर जिस तेजी के साथ भारत चहुंमुखी विकास के एक पहिए शिक्षा क्षेत्र को विकसित व आधुनिक बनाने के लिए संकल्प के साथ नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार तेजी से शिक्षा क्षेत्र का कायाकल्प कर रहा है जो काबिल ए तारीफ है। परंतु नीति निर्धारकों को शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के साथ गलत होना,दुर्घटना होना या अन्य किसी घटनाचूंकि स्कूल प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही के चलते हो रही है,इसकी जवाबदेही स्कूल प्रबंधन प्रशासन पर तय कर उन्हें कठोर सख्त सजा का प्रावधान नियम अधिनियम बनाने की जरूरत अब आन पड़ीहै,जिसके लिए संबंधित कानून में संशोधन करनेकी घड़ी भी अब आन पड़ी है, क्योंकि जिस तरह दिनांक 11 अप्रैल 2024 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में एक स्कूल बस पलट गई जिसमें 6 मासूम बच्चों का जीवन चला गया,जो अत्यंत खेद जनक है जिसपर माननीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भी हादसे पर अपने संवेदनाएं जताकर दुख प्रकट किया है।हालांकि इसके पूर्व भी अनेक बार इस तरह की घटनाएं दुर्घटनाएं स्कूल अधिकार क्षेत्र में बच्चों की हत्या सहित अनेक आपराधिक कृत्य हो चुके हैं, यहां तक कि राजधानी दिल्ली में 1997 में यमुना में बस गिरी थी जिसमें 28 बच्चों की मौत हुई थी तो इसी वर्ष माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बसों के लिए गाइडलाइंस जारी की थी,जिसका पालन अनेक स्कूलों द्वारा अभी भी नहीं किया जा रहाहै,परिणाम पर 11 अप्रैल 2024 को फिर एक बार हादसा हुआ परंतु अब शिक्षा विभाग को अति सख्त होना होगा, इस तरह के हादसों के लिए अब स्कूल मैनेजमेंट व प्रशासन पर बहुत गहरी सख्त जवाबदारी जिम्मेदारी का नियम विनियम बनाना होगा, ताकि इस तरह के हादसों के लिए आईपीसी की धारा 34 के तहत सह अपराधी बनाया जाए और सख्त सजा का प्रावधान किया जाए। चूंकि देशभर में स्कूली बच्चों की सेफ्टी का सवाल उठा है और जिम्मेदारी किसकी? इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, स्कूलों में घटित अपराधिक घटना दुर्घटना लापरवाही से बच्चों को क्षति की जवाबदेही स्कूल प्रबंधन व प्रशासन पर तय करना समय की मांग है।
बात अगर हम दिनांक 11 अप्रैल 2024 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में स्कूली बस हादसे की करें तो, गुरुवार की सुबह स्कूल की बस पलट गई। इस हादसे में 6 छात्रों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा घायल बताये जा रहे हैं।सबसे ज्यादा दहलाने वाली बात ये है कि स्कूल की प्रिंसिपल को इसका पता था कि ड्राइवर ने शराब पी है। मीडिया में बताया जा रहा है कि हादसे से करीब 30 मिनट पहले ग्रामीणों ने रास्ते में बस को रोका था।उन्हें पता चला कि ड्राइवर शराब के नशे में है। लोगों ने इसकी जानकारी प्रिंसिपल को दी लेकिन प्रिंसिपल ने बात को हवा में उड़ा दिया और उसी ड्राइवर को बस चलाने की अनुमति दे दी, ग्रामीणों ने जब प्रिसिंपल को फोन करके बताया कि बस का ड्राइवर शराब के नशे में है, तो उसके करीब 30 मिनट बाद ही आग जाकर बस पलट गई, जिसमें 6 बच्चों की जान चली गई। हादसे के बाद घायल बच्चों ने भी अस्पताल में ये बात बताई कि बस का ड्राइवर शराब के नशे में था। बच्चे ने ये भी कहा कि वो बस को करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चला रहा था। अचानक मोड़ आया तो वो बस को कंट्रोल नहीं कर पाया और बस पलट गई।प्रिंसिपल को फोन करने वाले लड़के का बयान लिया गया।इस बात की पुष्टि डीएसपी ने भी किया है, कहा कि उन्हें पता चला है कि रास्ते में कुछ ग्रामीणों ने बस को रोककर स्कूल के प्रिंसिपल को फोन पर बताया था कि ड्राइवर ने शराब पी रखी है। डीएसपी के मुताबिक जिस लड़के ने प्रिंसिपल को फोन किया था, उसका भी बयान दर्ज किया गया है, आगे की जांच की जा रही है।स्कूल के सभी संचालकों की जानकारी ली जा रही है, डीएसपी पुलिस ने अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया है, बताया कि शिक्षा विभाग से इसकी जानकारी ली जा रही है कि स्कूल के संचालन में कौन-कौन लोग प्रमुख रूप से शामिल हैं,उनकी क्या भूमिका थी। सभी जानकारी मिलने के बात उनके नाम भी एफआईआर में शामिल किया जायेगा। पुलिस के मुताबिक गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था। उसको लेकर भी मोटर व्हीकल एक्ट की धारा लगाई गई है। जानकारी ली जा रही है कि स्कूल के संचालन में कौन-कौन लोग प्रमुख रूप से शामिल हैं, उनकी क्या भूमिका थी, सभी जानकारी मिलने के बात उनके नाम भी एफआईआर में शामिल किया जायेगा।ड्राइवर के मेडिकल में शराब की पुष्टिडीएसपी ने ये बात स्वीकार की है कि पुलिस की जांच में ये बात सच पाई गई है कि ड्राइवर ने शराब पी थी। ड्राइवर के मेडिकल टेस्ट में शराब पीने की पुष्टि हुई है महेंद्रगढ़ स्कूल बस हादसे में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें स्कूल की प्रिंसिपल,सचिव और ड्राइवर शामिल है।
बात अगर हम 1997 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्कूली बसों के लिए जारी गाइडलाइंस की करें तो, राजधानी दिल्ली में 1997 में यमुना में स्कूली बस गिरी थी, जिसमें 28 स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसी साल स्कूली बसों के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं। इन गाइडलाइंस में सेफ्टी के तमाम इंतजाम किए गए थे।(1)स्कूली बस ड्राइवर का अनुभव 5 साल से ज्यादा का होना चाहिए।(2)गाड़ी की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।(3)हर गाड़ी में प्राथमिक उपचार के लिए फर्स्ट एड बॉक्स होने चाहिए।(4)आग बुझाने के उपकरणों का इंतजाम होना चाहिए।(5)स्कूली बच्चों को ले जाने वाले गाड़ियों की खिड़कियों पर ग्रिल होनी चाहिए।(6)गाड़ी में पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।(7)बस पीले रंग की होनी चाहिए और उस पर स्कूल का नाम और फोन नंबर होना चाहिए।(8)अगर बस को हायर किया गया हो, तो उसके आगे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।(9)बस में बच्चों के साथ कोई टीचर या अभिभावक होना चाहिए।(10)गाड़ी में सीटों की क्षमता जितनी होगी, उससे 20 फीसदी ज्यादा बच्चे ले जाए जा सकते हैं, ज्यादा नहीं (11) गेट ऐसे होने चाहिए, जो बंद हो सकें यानी प्रवेश द्वार ओपन न हो।दिल्ली पुलिस ने भी स्कूली बच्चों, पैरंट्स व टीचर्स के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। बच्चों को यह कहा गया है कि वह समय पर घर से निकलें, ताकि बस पकड़ने के दौरान कोई जल्दबाजी न हो। जब भी बस में चढ़ें, तो वह लाइन में रहें। बस में किसी भी तरह से शोर न मचाएं, क्योंकि इससे बस ड्राइवर का ध्यान भटकता है। बस में गेट पर न खड़े हों। खिड़की से अपने शरीर का कोई हिस्सा बाहर न निकालें। पैरंट्स और टीचर्स के लिए भी कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके तहत पैरंट्स यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चे सेफ हैं। वह सेफ्टी पॉइंट को देखेंगे और अगर कोई नियम का उल्लंघन हो रहा हो तो वह स्कूल अथॉरिटी को इसके लिए सूचित करेंगे, साथ ही पीटीए की मीटिंग में भी इसका जिक्र करेंगे। टीचर्स के लिए भी बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर निर्देश दिए गए हैं।
बात अगर हम स्कूल प्रशासन व प्रबंधन की जवाबदारी पर विभिन्न विशेषज्ञों की राय की करें तो, रायन इंटरनैशनल स्कूल में बच्चे का कत्ल किया गया, जिसके बाद देशभर के स्कूली बच्चों की सेफ्टी पर सवाल उठे हैं। क्या बच्चे स्कूल कैंपस में भी सेफ नहीं हैं? बच्चे जब स्कूल की कस्टडी में होते हैं तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? बच्चों के साथ होने वाले अपराध या हादसे में स्कूल प्रशासन पर किस हद तक जिम्मेदारी बनती है? इन मसलों पर कानूनी जानकारों का कहना है कि क्रिमिनल केस अलग मुद्दा है, लेकिन स्कूल कैंपस में अगर घटना होती है तो सिविल जिम्मेदारी के तहत स्कूल प्रशासन के खिलाफ दावा किया जा सकता है। लॉ ऑफ टॉर्ट के तहत पीड़ित पक्ष क्षति पूर्ति के लिए मुआवजे की मांग कर सकता है।
— किशन सनमुखदास भावनानी