जंगल में जन्मदिन
हम हैं नयी सदी के रचनाकार
हमारा जन्मदिन
ज़मीन पर नहीं,
आसमान में, करियाती गंधाती नदी में,
जल रहे जंगल में,
हमारे कद से छोटे पहाड़ पर
मनाया जाए
ताकि हम प्रकृति-प्रिय
पाठकों की पुतलियों में रहें
भले ही, असल जिंदगी में
रहें या न रहें
रचना में रहना है रहनुमा की तरह
उदार!
— गोलेन्द्र पटेल